वेद एक छोटे से शहर आसनसोल में रहता है। एक दिन उसे पता चलता है कि उसके खेल के मैदान में एक गहरा गड्ढा बन गया है। यह गड्ढा उसके दोस्तों को खेलने से रोक रहा है। वेद को इसे ठीक करने की जिम्मेदारी लेनी पड़ती है। लेकिन क्या वह इसे ठीक कर पाएगा?
आसनसोल के एक छोटे से मोहल्ले में वेद रहता था। उसे अपने दोस्तों के साथ खेलना बहुत पसंद था। एक दिन खेल के मैदान में एक बड़ा गड्ढा बन गया। सभी दोस्त उदास हो गए क्योंकि अब वे वहां खेल नहीं सकते थे। वेद ने कहा, - हमें इस गड्ढे को भरना होगा।
वेद ने अपने दोस्तों के साथ गड्ढे को भरने की कोशिश की। उन्होंने मिट्टी और पत्थर इकट्ठा किए। लेकिन गड्ढा बहुत गहरा था। वे सभी थक गए और सोचने लगे कि कैसे इसे भरा जाए। - यह तो मुश्किल है, एक दोस्त ने कहा।
वेद ने सोचा कि वह एक बड़ी बाल्टी का उपयोग करेगा। लेकिन बाल्टी टूट गई। फिर उसने एक बड़ी ट्रॉली लाई। ट्रॉली भी फंस गई। - हमें और मदद की जरूरत है, वेद ने कहा।
वेद ने निराश होकर कहा, - शायद हमें हार मान लेनी चाहिए। उसके दोस्तों ने भी सहमति जताई। गड्ढा बहुत बड़ा था और उसे भरना मुश्किल लग रहा था। वेद उदास होकर घर लौट आया।
उसकी दादी ने उसे देखा और पूछा, - क्या हुआ वेद? वेद ने गड्ढे की कहानी सुनाई। दादी ने मुस्कुराते हुए कहा, - मिलकर काम करने से कोई भी काम मुश्किल नहीं होता। वेद को एक नई उम्मीद मिली।
वेद ने अपने दोस्तों को फिर से बुलाया। उन्होंने सभी पड़ोसियों की मदद ली। सबने मिलकर गड्ढे को भर दिया। वेद ने खुशी से कहा, - अब हम खेल सकते हैं!
आसनसोल के एक छोटे से मोहल्ले में वेद रहता था। उसे अपने दोस्तों के साथ खेलना बहुत पसंद था। एक दिन खेल के मैदान में एक बड़ा गड्ढा बन गया। सभी दोस्त उदास हो गए क्योंकि अब वे वहां खेल नहीं सकते थे। वेद ने कहा, - हमें इस गड्ढे को भरना होगा।
वेद ने अपने दोस्तों के साथ गड्ढे को भरने की कोशिश की। उन्होंने मिट्टी और पत्थर इकट्ठा किए। लेकिन गड्ढा बहुत गहरा था। वे सभी थक गए और सोचने लगे कि कैसे इसे भरा जाए। - यह तो मुश्किल है, एक दोस्त ने कहा।
वेद ने सोचा कि वह एक बड़ी बाल्टी का उपयोग करेगा। लेकिन बाल्टी टूट गई। फिर उसने एक बड़ी ट्रॉली लाई। ट्रॉली भी फंस गई। - हमें और मदद की जरूरत है, वेद ने कहा।
वेद ने निराश होकर कहा, - शायद हमें हार मान लेनी चाहिए। उसके दोस्तों ने भी सहमति जताई। गड्ढा बहुत बड़ा था और उसे भरना मुश्किल लग रहा था। वेद उदास होकर घर लौट आया।
उसकी दादी ने उसे देखा और पूछा, - क्या हुआ वेद? वेद ने गड्ढे की कहानी सुनाई। दादी ने मुस्कुराते हुए कहा, - मिलकर काम करने से कोई भी काम मुश्किल नहीं होता। वेद को एक नई उम्मीद मिली।
वेद ने अपने दोस्तों को फिर से बुलाया। उन्होंने सभी पड़ोसियों की मदद ली। सबने मिलकर गड्ढे को भर दिया। वेद ने खुशी से कहा, - अब हम खेल सकते हैं!
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